मेरे पिता,
स्तब्ध हूं मैंआपके यूं चले जाने से,
कितना कुछ कहना शेष था अभी।
मैं लौटाना चाहता था आपको वो दिन
जब आप मेरी ऊंगली पकड़
मुझे घुमाने ले जाते थे।
मैं देखना चाहता था
अपनी कामयाबी
आपकी आंखों में
जिम्मेदारी से मुक्त ,
सुकून से ढीले ,
आपके कंधे
पर........
वैसे यकीन नहीं ,
आपका जाना सच है।
मेरा असीम प्रेम
आपको यूं जाने तो ना देगा
आप जाकर भी यहीं हो
मेरे आस-पास।
अपने द्वारा लगाएं
बोगनवेलिया की हजार पत्तों
से देखते
उसकी फूलों से मुस्कुराते
आप यहीं हो
मेरे पास
मेरे हृदय में
मेरी स्मृतियों में.......
अनु प्रिया
Aaaha wah wah wah wah
ReplyDeleteअतिसुंदर ! !
ReplyDeleteVery very nice 😊 Good I like this post
ReplyDeleteSuperp
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