भारत में बहुराष्ट्रीय निवेश

भारत में बहुराष्ट्रीय निवेश


आधुनिक विश्व के तेजी से बदलते परिवेश में ग्लोबलाइजेशन अर्थात भूमंडलीकरण आज के दौर की नियति बन गया है। यातायात व जनसंपर्क के साधनों में अप्रत्याशित रूप से हुई क्रांति ने आज विश्व के सुदूर हिस्से में बैठे व्यक्तियों को इतना नजदीक ला दिया है जिसकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। पूर्व में संभवत मुंबई से सामान आने में जितना समय लगता था उससे कम समय में आज विदेशों से सामान आ जाता है। । इस प्रकार बुनियादी क्षेत्रों में हुई क्रांति के परों पर उरता आज का व्यक्ति विश्व में हुए नवीनतम परिवर्तनों से कैसे अछूता रह सकता है।
                     आज के समाचार पत्रों में रोज स्कैम व घोटालों की खबरों के मध्य बहुराष्ट्रीय निवेश के समाचार निसंदेह रेगिस्तान में जलप्रपात के दृश्य के समान सुखद अनुभूति देते हैं। आज देश में अंबेसेडर कारों की जगह हुंडई , होंडा और फोर्ड मोटर की गाड़ियों ने ले ली है ।आज हम कोकोकोला जैसे उत्पादों से गर्मी में अपने गले को तर कर रहे हैं।
                  आज कंप्यूटर की कीमत रंगीन टीवी व इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर जितनी हो गई है।  यह सब बहुराष्ट्रीय निवेश के कारण ही संभव हुआ है । इस कारण ही भारतीय निर्माताओं की तंद्रा भी टूटी है और वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर अपने स्वदेशी उत्पादों को विदेशी तकनीक से उन्नत बनाने में लगे हुए हैं। आज बहुराष्ट्रीय निवेश के बल पर मारुति कार के रूप में देशवासियों के कार रखने के सपने सच हो पाए हैं।  देखते ही देखते अपने उच्च गुणवत्ता व कम ईंधन खपत से कार उद्योग के एक बड़े हिस्से पर मारुति का कब्जा हो गया। आज हमारे सामने विश्व के अग्रणी  कार निर्माता कंपनियां जैसे हुंडई ,फोर्ड मोटर्स, होंडा सिटी, रेनॉल्ट डस्टर ,किया सोनेट इत्यादि के श्रेष्ठ गुणवत्ता के मॉडल को चुनने का विकल्प उपलब्ध हुआ है।
                      
                आज आपको अपने वाहनों के लिए श्रेष्ठतम लुब्रिकेंट्स उपलब्ध है जिससे वाहनों के इंजन ठंडे व साफ रहते हैं तथा इंजन का जीवनकाल बढ़ता है। विदेशी कंपनी से प्रेरणा पाकर हमारी इंडियन ऑयल विश्व की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने टिटेनियम डी आक्साइड के साथ ग्रीस मिक्सर तैयार किया है जिसे विशेष रूप से इस्पात उद्योग में इस्तेमाल किया जाता है।

आयुर्वेद भारत में जन्मी एक अत्यधिक प्राचीन विद्या है जो आदिकाल से मानव मात्र की पीड़ा का क्षरण कर रही है पर आज संपूर्ण विश्व में यह अपनी छटा बिखेर रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने आयुर्वेदिक उत्पादों से बड़े-बड़े वह लाइलाज बीमारियों के उपचार में सफलता प्राप्त कर रही है। 
भारत भविष्य के निवेश के लिए शीर्ष तीन पसंदीदा जगहों में --
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एक सर्वेक्षण में भारत अगले दो-तीन साल में निवेश के लिए सिर्फ तीन पसंदीदा जगहों में से एक बन कर उभरा है। सर्वेक्षण में शामिल दो तिहाई कंपनियों ने भविष्य में अपना निवेश देश में करने की इच्छा जताई है ।भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने परामर्श कंपनी (ई वाई)के साथ मिलकर विदेशी निवेश (एफडीआई) का सर्वेक्षण किया था। इस सर्वेक्षण ने 2025 तक भारत को दुनिया का प्रमुख विनिर्माण केंद्र या तीन शीर्ष अर्थव्यवस्था में से एक बन जाने वाला माना। कंपनियों ने भारत का चुनाव बाजार की क्षमता, कुशल कार्य बल की उपलब्धता ,और राजनीतिक स्थिरता के बिंदुओं पर किया । इसके अलावा सीआईआई ने कहा की हाल में देश में कारोबार सुगमता, कारपोरेट कर में कटौती ,श्रम कानूनों का सरलीकरण, एफडीआई सुधार जैसे कई नीतिगत बदलाव हुए हैं।

बहुराष्ट्रीय निवेश के फायदे

1-रोजगार सृजन-बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश से मेजबान देशों में रोजगार के बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होते हैं जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर की जा सकती है।
2-बेकार संसाधनों के समुचित उपयोग-उन्नत तकनीकी ज्ञान के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियां मेजबान देशों के निष्क्रिय तथा भौतिक मानव संसाधन का उपयोग करते हैं जिससे मेजबान देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
3-जीवन स्तर में सुधार-उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद और सेवाओं के कारण मेजबान देश के लोगों की जीवन स्तर में सुधार होता है।
4-अंतर्राष्ट्रीय भाईचारे और संस्कृति का संवर्धन- बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था को भी एकीकृत करती है।
बहुराष्ट्रीय निवेश के नुकसान
1-गरीबों को फायदा नहीं-बहुराष्ट्रीय  निवेश से गरीब लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता इसका फायदा सिर्फ अमीर लोगों को ही होता है।
2-आजादी के लिए खतरा-बहुराष्ट्रीय कंपनियों के राजनीतिक दखल से मेजबान देश की आजादी के लिए खतरा पैदा हो जाता है।
3-मुनाफे का प्रत्यावर्तन-बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारी मुनााफा कमाती है मेजबान देश की विदेशी मुद्रा भंडार को प्रभावित करती हैंं।
निष्कर्ष-
 भारतीय मानव संसाधन क्षमता में गहराई है तथा क्षमता में हम एक ताकत है परंतु सीमित संसाधनों व विशाल जनसंख्या के दृष्टिगत हम केवल स्वदेशी के बूते कोई अजूबा नहीं कर सकते हैं ।आजकल ,जबकि विश्व के सभी छोटे बड़े देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मदद से अपने देश के संसाधन का उपयोग कर अपने देश की जनता को बेहतर जीवन प्रदान कर रहे हैं और देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहे हैं तो हमें भी इनका दिल से स्वागत करना चाहिए
                                            अनुप्रिया
                                  M.Sc(chem),B.Ed

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